रांची : झारखंड में नियुक्तियों के पूर्व आमूलचूल परिवर्तन की तैयारियां तीव्र रफ्तार से की जा रही हैं। सरकार हर विभाग की नियमावली बदलने के साथ ही परीक्षा संचालन नियमावली की भी समीक्षा कर रही है और पूरी कवायद है कि विभिन्न विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया संशोधनों के बाद ही शुरू हो। बदलाव की जो तैयारियां चल रही हैं उसके अनुसार झारखंड से मैट्रिक और इंटर पास करनेवाले छात्रों को ही नौकरी में प्राथमिकता देने की तैयारी की जा रही है। इतना ही नहीं, इस बात की भी संभावना है कि कुछ स्थानीय भाषा को भी कर्मियों के चयन हेतु परीक्षा में शामिल किया जाए।खासकर जिन भाषाओं को हाल में द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिला है। इन भाषाओं में भोजपुरी, अंगिका, मैथिली आदि शामिल हैं। पूर्व से स्थापित नियम के अनुसार द्वितीय राजभाषा को इस परीक्षा प्रक्रिया में स्वत: शामिल किया जाता है। पूरी कवायद से स्थानीय नीति नहीं होने की समस्या का समाधान भी होता दिख रहा है जिसे हाई कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। पूरी कवायद के दौरान इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि पूर्व में जिन मुद्दों पर विवाद हुआ है उन्हें नियमावली में नए तरीके से शामिल किया जाए अथवा हटा दिया जाए।तृतीय स्तर की नौकरियों में स्थानीय लोगों को लाभ देने के लिए कुछ राज्यों में पहले से राज्य से इंटर-मैट्रिक पास छात्रों को प्रमुखता देने का नियम बना हुआ है। इन राज्यों में हिमाचल प्रदेश भी शामिल है। सरकार में शामिल कुछ नेताओं ने भी इसे लागू करने के लिए पूर्व में सुझाव दिए हैं। हिमाचल प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के लिए राज्य से दसवीं एवं आठवीं पास होना अनिवार्य किया गया है। राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने विभागों की ओर से भेजी गई तमाम अधियाचनाओं को पहले ही लौटा दिया है।
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