मानवता को साथ मिलाकर
ऩई दुनियां बसायेगे
जहाँ ना हो कोई हिन्दू मुस्लिम
सब को एक बनायेगे।
मिलजुलकर बांटेगे
सुख दुख
सबको गले लगाऐगे
दे पाये जो खुशिया
ऐसे फूल खिलाऐगे
रहे ना अंघियारा इस जग मे
घर घर दीप जलायेगे
ऊँच नीच भेद मिटाकर
सबको एक बनाऐगे
जन जन मे खुशहाली
ऐसी शिक्षा लायेगे
आहिस्ता है धर्म हमारा
दुनियां को दिखयाऐगे
मानवता को साथ मिलाकर
ऩई दुनियां बनायेगे।
मासूर्येश प्रसाद निर्मल शीतलपुर तरैयाँ
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