शुभ
प्रभात सर।
़ ऐ मौत ़
ऐ मौत
तुझसे हम
दिल लगा के देखेगे
तेरा दर्द
कैसा है
ये आजमाकर देखेगे
ऐ मौत
तु महबूब
कैसी है
ये दिल में बसाकर देखेगे
क्या हकीकत है तेरी
ये समझाकर देखेगे
ऐ मौत
तु मंजिल है मेरी
या मुसाफ़िर है तु भी
मिलेगे तो तुझसे
हाथ मिलाकर देखेगे
ऐ मौत
ऐ मौत तुझसे
लोग डरते है कैसे
मौका मिला तुझसे
आँखें मिलाकर देखेगे।
सूर्येश प्रसाद निर्मल धर्मालय शीतलपुर ।

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