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आधुनिकता और बाजारवाद के शिकंजे में प्रकाश पर्व


 News24Bihar:

तरैया,सारण। कहा जाता है कि रौशनी, ज्ञान और प्रकाश का पर्व दीपावली है। लेकिन आधुनिकता और बाजारवाद के शिकंजे में पूरी तरह से प्रकाश पर्व है। आलम यह है कि ग्राहकों की तलाश कर रहे हैं मिट्टी के बने दिए। बाजार में चाइनीज लाइटे, मोमबत्तियों के आगे उपेक्षित टोकरियों में पड़ा है दिए का संसार सुख और समृद्धि का त्यौहार आधुनिकता और बाजारवाद के आगे दम तोड़ता नजर आ रहा है। अब तो मुश्किल से सुनाई देती है आतिशबाजीयों की आवाजें। कोरोना, बाढ़ और महंगाई से त्रस्त आम आदमी अपने बच्चों के लिए नए कपड़े, आतिशबाजी के लिए पटाखे, अब लोगों से दूर हो चुके। इस महंगाई के दौर में गरीब तबके के लोग महंगे सामानों को खरीदने की कल्पना   

नहीं कर सकते। आकाश की बुलंदियों तक विभिन्न आकृतियों की रचना और उनमें नियमित संध्या जलाई जानेवाली दिए कि रौशनी, मानव समृद्धि को नीचे बुला रही है। कंदील कहा जाने वाला सृजन कहीं क्षितिज में गुम हुई सा लगता है।

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